मंडी खबर : ग्वार में बनेगी ऐतिहासिक तेज़ी

जयपुर। राजस्थान में सर्वाधिक पैदा की जाने वाली फसल ग्वार में लंबे अरसे के बाद अच्छी तेजी के आसार बन रहे हैं। यदि इस साल करीब दो महीने पहले एक दिन के बवंडर को छोड़ दें तो 2011 में ग्वार ने जिन भावों में कारोबार किया था शायद इस बार उसके आसपास न सही लेकिन मौजूदा स्थिति से डबल होकर आगे बढ़ सकता है। राजस्थान में ग्वार सीड और ग्वार गम के व्यापार के जानकारों का कहना है कि इस बार पूरे भारत में फसल काफी कमजोर स्थिति में है विशेष रुप से राजस्थान के जिन जिलों में ग्वार की बिजाई होती है वहां शुरुआत में मानसून ने बिल्कुल भी साथ नहीं दिया और बिजाई करीब 50 प्रतिशत से नीचे रह गई। उसके बाद जैसे तैसे ग्वार की फसल को किसानों ने अपने अथक प्रयासों से आगे बढाया तो बेमौसमी बरसात ने ग्वार की फसल को बड़ा नुकसान कर दिया।

जिस समय ग्वार के अंदर बनने वाली फली की प्रक्रिया शुरु होती है उस समय मौसम में खुशकी की जरुरत पड़ती है लेकिन उस समय बेमौसमी बरसात ने फलियों को बांझ करना शुरु कर दिया जिससे पौधा एक खाली घास के योग्य बनकर रह गया। यह स्थिति उन अधिकतर जिलों में देखी गई है जहां सितंबर के महीने में और अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में बरसात में कहर ढाया है। पहले ही दाना कल पड़ चुका था और उसने सही आकार भी नहीं लिया था ऐसे में इस बार ग्वार का कुल उत्पादन काफी कम आंका जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो इस बार ग्वार में कुल उत्पादन 20 से 25 लाख बोरी से अधिक होने की संभावना नहीं है। कैरी फारवर्ड में भी लगभग इतना ही ग्वार सीड उपलब्ध बताया जा रहा है।

जानकारों ने बताया कि इस समय राजस्थान के प्रमुख ग्वार भंडारण जिलों से ग्वार सीड और ग्वार गम गुजरात में शिफ्ट हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि गुजरात की एक बड़ी कंपनी जो किसी बड़े राजनेता व प्रमुख उद्योगपति द्वारा संचालित की जा रही है ने राजस्थान और हरियाणा से ग्वार व ग्वार गम एकत्रित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। सूत्रों ने यहां तक कहा कि इस समय केवल राजस्थान के नागौर जिले में कुछ ग्वार सीड उपलब्ध है और थोड़ा बहुत ग्वार गम जोधपुर जिले में भंडारण किया हुआ है। खेत खजाना ने तेजी मंदी के लिए वट्सअप ग्रुप शुरु किया है जिसमें शुल्क देकर शामिल हुआ जा सकता है। आने वाले समय में ग्वार सीड और ग्वार गम दोनों ही अच्छी तेजी के साथ आगे बढ़ते हुए एक अच्छी ऊंचाई हासिल करने की दिशा बना रहे हैं।

लेख – खेती खजाना

Leave a Comment