चना की फसल में अधिक उत्पादन के लिए करें रोग एवं कीट का नियंत्रण

चना की फसल इस समय फूल एवं फराओ की स्टेज पर है। ऐसे समय में चना की फसल पर किसी रोग या कीट लगता है तो फसल से उत्पादन कम हो सकता है। इसलिय फसल की देख रेख करना जरुरी है। जिले में रबी मौसम में चने की फसल लगभग 74200 है. में बोयी गई है। उप संचालक कृषि श्री आर.पी. कनेरिया ने कृषकों को सलाह दी को वर्तमान में चने की फसल फूल एवं फली अवस्था में और इसी अवस्था में चने की फसल में सबसे ज्यादा कीट एवं रोग का आक्रमण होता है अत: चने में कीट एवं रोग प्रबंधन अवश्य करें। चलिए जानते है चना की फसल में कौन रोग एवं कीट लगते है और उनका नियंत्रण कैसे किया जाता है।

चना के फसल में कीट

चना फसल का मुख्य कीट चने की इली (हेलिकोवर्षा आर्मीजेरा) है, जो 15-20 प्रतिशत हानि पहुंचाता है। यह कीट कोमल पत्तियों, फूल तथा फलियों में छेद कर दाने खाता है। इस कीट के प्रकोप को एकीकृत कीट प्रबंधन से रोका जा सकता है।

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chana me elli

चना की फसल में कीट नियंत्रण

  • खेत में प्रकाश प्रपंच एवं फेरोमैन प्रथच लगायें। खेत में पक्षियों के बैठने हेतु अंग्रेजी अक्षर T आकार की 50 खुटियां प्रति हेक्टर के हिसाब से समान अंतर पर लगाएं।
  • नीम बीज सत 5 प्रतिशत का उपयोग करें।
  • परजीवी रोगाणु टाइकोग्रामा आदि का उपयोग भी किया जा सकता है।
  • श्यामा तुलसी व गेंदा के पौधे बीच में लगाने से इली नहीं लगती।
  • अंतरवर्तीय फसले लगाने से कीटों से नुकसान कम होता है।
  • खेत के खरपतवार नष्ट करें तथा गर्मी में गहरी जुताई करें।
  • रसायनिक नियंत्रण के लिए चना में इमामेक्टिन बेंजोएट 100ग्राम /प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में स्प्रे करें।

चना की फसल में रोग

चना में उकटा रोग का प्रकोप मुख्य रूप से होता है इस रोग से पौधे मुरझा कर सूख जाते हैं, चना के अन्य रोग जैसे पद गलन या पद विगलन रोग जड़ सडन अल्टरनेरिया झुलसा रोग आदि हैं रोग नियंत्रण इस प्रकार करें।

चना में उकठा रोग

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चना की फसल में रोग नियंत्रण

  • रोगी पौधे को निकाल कर जला दें।
  • इस रोग से ग्रसित बीजों को काम में न लें।
  • चने के साथ गेहूं, सरसों या अंतरवतीय फसल को अधिक बढ़वार से बचायें।
  • रोग का प्रकोप होने पर डायथेन एम. 45 का 40 ग्राम प्रति टंकी (15 लीटर) की दर से घोल तैयार कर छिड़काव करें।

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