यूरिआ नाइट्रोजन युक्त खाद रहता है जो फसलों के विकास बृद्धि हेतु अत्यंत उपयोगी होता है। आज के समय में यूरिआ के बिना खेती करना संभव नहीं है यूरिआ खाद का उपयोग सभी फसल जैसे गेहूं, चना, गन्ना, धान, मूंग में अति आवश्यक होता है। इन फसलों यूरिआ की पूर्ति नही की गयी तो फसल पीली पड़ने लगती है और फलस्वरूप उत्पादन कम निकलता है जिस से किसान को काफी नुक्सान होता है। सरकार द्वारा यूरिआ पर बैन लगाने की तैयारी चल रही है क्युकी सरकार के अनुसार खेती में यूरिआ का उपयोग खतरनाक होता है।
खेती के उपयोग में लिए जाने वाले यूरिया के खतरनाक परिणामों को देखते हुए अब केन्द्र सरकार यूरिया के उपयोग को बंद करने की तैयारी कर रही है । प्रधानमंत्री की मंशा के बाद अब केन्द्र ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर यूरिया के उपयोग को कम करने के निर्देश दिए है दरअसल, प्रधानमंत्री ने गत दिनों नीति आयोग की बैठक में निर्देश दिए थे कि कृषि एवं संबद्ध विभागों की ओर से कृषि में यूरिया के उपयोग को कम करने के लिए सचेत प्रयास किए जाए।

इसके बाद केन्द्र ने सभी राज्यों को इन निर्देशों पर अमल करने को कहा गया है। केन्द्र के पत्र के बाद अब सहकारिता विभाग ने सहकारी समितियों व केन्द्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि अपने अधीन कार्यरत सहकारी संस्थाओं को निर्देशित करें कि वे अपने सदस्यों एवं अन्य किसानों को कृषि में यूरिया के उपयोग को कम किया जाए। यही कारण है की बाजार में यूरिआ की कमी देखने को मिल रही है।
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यूरिआ का अन्य विकल्प क्या है –
यूरिया बैन होने के बाद किसानों के मन में यही सवाल है की, यूरिया नाइट्रोजन की जगह कोनसी खाद का उपयोग किया जाये। फसलों में नाइट्रोजन का स्त्रोत यूरिआ ही है। लेकिन सरकार ने इसके लिए नैनो यूरिआ लांच किया है जो इफको कंपनी का पेटेंट प्रोडक्ट है। अन्य खाद में भी नाइट्रोजन की मात्रा रहती है लेकिन फ़िलहाल यूरिआ ही ऐसा प्रोडक्ट है जिसमे 46 प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा रहती है।