Wheat : मौसम बदलने से भी अब नही पड़ेगा गेहूं की उपज पर असर, जानिए कैसे ?

इस साल फरवरी महीने में ही गर्मी बढ़ जाने की वजह से गेहूं की उपज पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. कई अनुमान में बताया गया है कि इस बार गेहूं की उपज कमजोर रह सकती है. जलवायु परिवर्तन की वजह से फरवरी महीना पिछले कई सालों में पहली बार इतना गर्म बीत रहा है. इस वजह से इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च ने गेहूं की एक नई वैरायटी की खोज की है जो तापमान बढ़ने के बाद भी फसल की उपज पर असर नहीं पड़ने देगा.

इसी हफ्ते केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने घोषणा की है कि उन्होंने फरवरी महीने में ही तापमान बढ़ने की वजह से कृषि उपज पर पड़ने वाले असर की जांच करने के लिए एक समिति की स्थापना की है. साल दर साल आधार पर अनाज की महंगाई इस साल जनवरी में 16 फ़ीसदी को पार कर गई है.
इसकी मुख्य वजह गेहूं और आटा के भाव में आई तेजी है. साल दर साल आधार पर इस सा जनवरी में गेहूं और आटे के भाव 25 फ़ीसदी से अधिक तेज हैं. सरकारी गोदाम में गेहूं का स्टॉक कमजोर है. अगर इस साल की 1 फरवरी की बात करें तो यह 6 साल की तुलना में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. केंद्र सरकार के पास 154.40 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद है.
मौसम में बदलाव की वजह से इस समय किसानों के खेत में जो गेहूं लगा है, उसकी उपज पर भी असर पड़ने की आशंका है. इस साल का गेहूं अप्रैल में खेतों से बाजार में आ सकता है. पिछले साल मार्च में तापमान बढ़ने की वजह से गेहूं के दाने छोटे रह गए थे, जिससे कुल उपज में कमी आई थी.

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इस साल फरवरी महीने में ही मौसम गर्म होने की वजह से गेहूं की उपज पर अधिक असर पड़ने की आशंका है. कृषि विभाग के अधिकारियों में इस बात का डर है कि इस साल फरवरी महीने में न्यूनतम और अधिकतम तापमान 3 से 5 डिग्री तक अधिक है, इस वजह से गेहूं की उपज कमजोर रह सकती है.
इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च ने गेहूं की एक नई किस्म तैयार की है जिस पर बदलते मौसम का असर पड़ने की संभावना नहीं है. गेहूं की खेती 140 से 145 दिन की होती है. देश के ज्यादातर हिस्से में नवंबर में गेहूं बोया जाता है.
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश में धान, कॉटन और सोयाबीन की खेती के बाद गेहूं की बुवाई होती है. उत्तर प्रदेश और बिहार में गन्ना और धान के बाद गेहूं बोया जाता है. इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च ने कहा है कि अगर गेहूं का नया बीज 20 अक्टूबर के आसपास खेत में लगा दिया जाए तो इसे गर्म मौसम का सामना नहीं करना पड़ेगा और मार्च के तीसरे हफ्ते में यह तैयार हो जाएगा.

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