रूस और यूक्रेन के बिच युद्ध लगातार तेज़ होते जा रहा है। रूस यूक्रेन की राजधानी के करीब पहुंचने वाला है रूस के पूर्वी क्षेत्र के देनेस्क और लुहांस्क में सेना को और बढ़ा दिया है। अगर के बीच ऐसे ही हुआ तो फिर जो के साथ गेहूं की सप्ताह प्रभावित होने से इनकी कीमतों में तेज़ी बनने की आशंका है। लगातार युद्ध के कारण विभिन्न प्रकार के कार्य एवं सुविधाएँ भी बाधित हो रही है।
रूस जौ का सबसे बड़ा उत्पादक देश है जहां सालाना 1.8 करोड़ टन के आसपास जो का उत्पादन होता है। यूक्रेन जौ उत्पादन में विश्व में चौथे स्थान पर है जहाँ 95 लाख टन के आसपास उत्पादन होता है। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार देश में फसल सीजन 2021 – 22 में जौ का उत्पादन 19 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल यह 16 लाख टन हुआ था। देश में जौ के प्रमुख उत्पादक राजस्थान और उत्तरप्रदेश हरियाणा है।
इस कारण आ सकती है गेहूं जौ के भाव में तेज़ी
भारत में कुछ प्रीमियम ब्रांड को छोड़ दे, तो बेबरेज कंपनियों घरेलु बाजार से ही जौ को खरीदती है। लेकिन रूस और यूक्रेन से सप्लाई बाधित होने पर ग्लोबल मार्किट में दाम बढ़ेंगे और उसका असर घरेलु बाजार की कीमतों पर भी पड़ेगा।
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रूस और यूक्रेन मिलकर दुनिया का 21 फीसदी गेहूं मक्का और जौ का निर्यात करते है। सनफ्लॉवर आयल की ग्लोबल सप्लाई में इन देशो की हिस्सेदारी 60 फीसदी है। अतः युद्ध हुआ तो जौ के साथ गेहूं मक्का का निर्यात भी प्रभावित होगा जिससे विश्व स्तर पर कीमतों में तेज़ी आएगी। जानकारी के अनुसार रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से अंतराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी के दामों में तेज़ी देखने को मिल रही है।
आने वाले दिनों में मौसम के हिसाब से इसका असर और अधिक हो सकता है गर्मियां आ रही है और गर्मी में बियर की खपत ज्यादा होती है, जो की ज्यादातर बियर जौ से बनाई जाती है। बीते साल में जौ की कीमत 40 से 50 फीसदी तक बढ़ चुकी है तथा रूस और यूक्रेन के बिच हो रहे युद्ध से गेहूं और जौ की सप्लाई बाधित हो रही है। यह खबर खेती खजाना से ली गयी है।
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