भारत में एवं उपोष्ण कटिबंधीय और उष्ण कटिबंधीय दुनिया में प्रभावी मिट्टी उर्वरता के समुचित परीक्षण की कमी ने वैज्ञानिकों के एक समूह को यह पता लगाने के लिए प्रेरित किया है कि कैसे एक स्मार्टफोन कैमरा एक शक्तिशाली और आसानी से उपलब्ध विकल्प में परिवर्तित हो सकता है। हाल ही में एल्सेवियर जर्नल ‘biosystem engineering’ में प्रकाशित एक आलेख के मुताबिक शोध दल छबि-आधारित Soil Organic Matter (SOM) मूल्यांकन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और मिट्टी की उर्वरता के मूल्यांकन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है।
भारत के पश्चिम बंगाल में किए गए अध्ययन में राज्य के तीन कृषि-जलवायु क्षेत्रों से Soil Sample का इस्तेमाल किया गया। मिट्टी के रंगों में मौजूद अंतर का विश्लेषण करके, एसओएम तकनीक स्थिति को मापने के लिए उन्नत मॉडलिंग का उपयोग करती है, जो मिट्टी के पोषक तत्वों के स्तर और मिट्टी की गुणवत्ता और मिट्टी के स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य विशेषताओं को निर्धारित करने का आधार हो सकती है।
photo analysis उन पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक सुविधाजनक है, जो अपनी प्रभावशीलता और पहुंच में सीमित हैं। प्रयोगशाला विश्लेषण के लिए महंगे equipments और मिट्टी के नमूना संग्रह और हैंडलिंग में काफी अधिक श्रम और समय की आवश्यकता होती है। एक साधारण स्मार्टफोन छबि के आधार पर एसओएम का तेजी से और विश्वसनीय मूल्यांकन पश्चिम बंगाल जैसे क्षेत्रों में मिट्टी की उर्वरता मूल्यांकन को बहुत सरल करेगा।
African Plant Nutrition Institute के महानिदेशक, डॉ. कौशिक मजूमदार और इस अध्ययन के सह-लेखक बताते हैं- एसओएम डेटा प्राप्त करने के एक सरल तरीके से फसल उत्पादन क्षेत्रों में अधिक सटीक, डेटा-संचालित कृषि को आगे बढ़ाने के नए अवसरों की संभावना पैदा होती है, जो पहले पोषक तत्व प्रबंधन की अस्पष्ट जानकारी कारण सीमित थे। इस अनुसंधान क्षेत्र में एक मजबूत विश्लेषणात्मक प्रणाली तैयार करने में अनेक चुनौती का सामना करना पड़ा जो मिट्टी की कई सतह के रंग, ढालों में समान रूप से अच्छी तरह से कार्य करने में सक्षम हो ताकि संभावित व्याख्या की जा सके।
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मशीन लर्निंग (एमएल) के माध्यम से टीम अपने मॉडल को किसी भी त्रुटि-प्रेरक संकेतों को पहचानने और उसका निराकरण करने के लिए निरंतर चुनौती देकर इसकी सटीकता में लगातार सुधार करना सिखा रही है। अध्ययन ने मिट्टी की छबि व्याख्या के विज्ञान को उन्नत किया था, लेकिन शोधकर्ताओं ने प्रौद्योगिकी को फील्ड में किसानों तक ले जाने के लिए अतिरिक्त शोध की आवश्यकता को पहचाना। अगले चरण में मॉडल को नमूना छबियों की एक विस्तृत श्रृंखला में प्रदर्शित करना शुरू कर देंगे ताकि एमएल मॉडल को यह सिखाया जा सके कि मिट्टी के प्रकार, बनावट, नमी और परिदृश्य में स्थिति के प्रभाव को बेहतर ढंग से कैसे पहचाना जाए।
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वैज्ञानिक आश्वस्त हैं कि वह दिन दूर नहीं जहां एक तैयार smartphone application लाखों छोटे किसानों के लिए एसओएम और मिट्टी की उर्वरता की स्थिति को वाजिब मूल्य पर और त्वरित गति से भविष्यवाणी कर सकता है। अपने स्मार्टफोन कैमरे द्वारा खींची गई फोटो से सीहोर के प्रगतिशील कृषक चंद्रकांत राठौर अपने खेत की मिट्टी की उर्वरता पहचान कर खेत में फर्टिलाइजर डालने की खुराक तय करेंगे। अब उन्हें किसी लेबोरेटरी को नमूना नहीं भेजना होगा।
हाँ, ये दिन दूर नहीं जब भारत का किसान ये स्वयं करेगा। वैज्ञानिक किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति और स्वास्थ्य का निर्धारण करने के लिए एक त्वरित और सरल तरीका प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं। स्मार्टफोन कैमरे द्वारा विश्लेषण के माध्यम से मिट्टी के जैविक पदार्थों का शीघ्रता से अनुमान लगाने वाले मशीन लर्निंग मॉडल के निर्माण में कृषि वैज्ञानिक प्रयासरत हैं।