kisan news. भारत में बड़े स्तर पर किसानों द्वारा धान की खेती की जाती है। लेकिन कुछ वर्ष से धान का निर्यात कम होने से कीमत में भी कमी आ गयी है जिस से धान का रकवा भी कम होने लगा है। लेकिन वर्ष 2021 में धान की कीमत में तेज़ी होने की अधिक सम्भावना है क्यूँकि इस वर्ष सरकार धान को निर्यात करने की तैयारी कर रही है। पढ़िए पूरी खबर –
जानिए इस वर्ष धान में अच्छा मुनाफा होने की क्या है वजह –
भारतीय बासमती और गैर बासमती चावल के निर्यात में इस बार सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए हैं। इसका एक अर्थ यह है कि भारत के पास अगले साल निर्यात के लिए कैरीफारवर्ड नहीं बचेगा और अगली फसल के समय किसानों को इसका सीधा लाभ होगा। अर्थात जब निर्यातकों के पास चावल नहीं होगा तो जमकर खरीददारी होगी जिससे किसानों को अच्छे भाव मिलने की उम्मीद बनेगी।
चावल निर्यात पर निगरानी रखने वाली संस्था एपीडा के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2020 तक भारतीय बासमती चावल 33.8 लाख टन का निर्यात हो चुका था जोकि पिछले साल दिसंबर 2019 तक केवल 28.4 लाख टन था। अगर रुपए में बात करें तो बासमती चावल का दिसंबर 2020 तक 22638 करोड़ रुपए की कीमत का निर्यात हुआ जबकि दिसंबर 2019 तक केवल 20926 करोड़ रुपए का बासमती चावल निर्यात हुआ था।
कोरोना काल में चावल निर्यात ने तोड़े रिकार्ड
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में बासमती और गैर बासमती दोनों के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि लोगों ने शुद्ध एवं शाकाहारी भोजन को महत्व देना शुरु किया है। बर्ड फ्लू जैस विश्वस्तरीय बीमारी ने भी लोगों को शाकाहारी भोजन करने के लिए प्रेरित किया है।
जिन देशों में भारतीय चावल निर्यात होता है वहां के लोगों ने कोरोना काल के लंबे चलने की आशंका में अच्छी मात्रा में भारतीय चावल का आयात किया और अपने यहां स्टॉक कर लिया। घरेलू बाजार में भी भारतीय चावल की मांग में बढ़ोतरी हुई। अगले साल आने वाली बासमती की फसल को व्यापारियों द्वारा अच्छा भाव दिए जाने की संभावना जोर पकड़ रही है।
किसान चावल की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दें
इंडिया राईस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विजय सेतिया ने बताया आमतौर पर साल भर में भारतीय बासमती चावल का निर्यात लगभग 44 लाख टन के आसपास रहता है, लेकिन यह दिसंबर 2020 में ही 33 लाख टन को पार कर गया है। जिससे यह संभावना है कि इस बार निर्यात का स्तर थोडा और सुधर सकता है।
उन्होंने कहा कि आज भी भारतीय बासमती की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विशेष पहचान है लेकिन भारतीय किसान बासमती की पैदावार पूरे वैज्ञानिक ढंग से करे और विशेष रुप से कीटनाशक दवाईयों का प्रयोग न्यूनतम स्तर पर करे तो बासमती की गुणवत्ता में और सुधार हो सकता है जिसका सीधा फायदा किसानों को ही होगा। वर्ष 2017 में ईराक ने भारत से चावल आयात बंद कर दिया था क्यूंकि जब भारत के चावल की जाँच की गयी तो इसमें केमिकल की मात्रा अधिक पायी गई थी।
यह भी पढ़ें – काला गेहूं सिर्फ ‘काला’ परिक्षण में हुआ फेल