खरीफ फसल की खेती कम होने के बाद भी नहीं बढ़ेंगे दाम, धान, दलहन कॉटन भाव रिपोर्ट

इस साल खरीफ सीजन में फसलों का रकबा करीब एक फीसदी घटा है। धान-दलहन के रकबे में सर्वाधिक कमी आई है। तिलहन का रकबा भी कुछ घटा है। इसके बावजूद चावल, दाल और खाने के तेल महंगे होने की आशंका कम है। धान का सरप्लस स्टॉक और अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट इसकी प्रमुख वजह होगी। देश में खरीफ फसलों की बुआई करीब-करीब पूरी हो चुकी है।

16 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, धान के रकबे में पिछले साल के मुकाबले 4.5% और दलहन के रकबे में 4.1% कमी आई है। तिलहन का रकबा भी 0.7% घटा है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि धान का रकवा कम होने से चावल के भाव नहीं बढ़ना चाहिए। उधर अंतरराष्ट्रीय बाजार के हालात संकेत दे रहे हैं कि खाने के तेल सस्ते हो सकते हैं।

चावल महंगा नहीं होगा

कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा के मुताबिक, धान की खेती 4.5% घटने से चावल का उत्पादन ज्यादा से ज्यादा 80 लाख टन घटेगा। देश में इससे 5 गनुा यानी 4 करोड़ टन से अधिक चावल का सरप्लस स्टॉक है। ऐसे में भाव बढ़ने की कोई वजह नहीं है .

खाद्य तेल सस्ते होंगे

सबसे ज्यादा खपत पाम ऑयल की होती है। इसके सबसे बड़े निर्यातक इंडोनेशिया के पाम ऑयल उत्पादक स्टॉक घटाने के लिए कम भाव पर माल बेच रहे हैं। इसका फायदा दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल आयातक भारत को हो रहा है।

त्योहारों से पहले कॉटन के भाव में गिरावट के असार

इस साल कॉटन की खेती सबसे ज्यादा 7.5% बढ़ी है। 2022- 23 के खरीफ सीजन में 127.2 लाख हेक्टेयर में कॉटन की खेती की गई है। बीते साल इस फसल का रकबा 118.2 लाख हेक्टेयर ही था। इसके चलते कॉटन का उत्पादन बढ़ने और भाव पर दबाव बढ़ने की संभावना है।

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अगस्त- नवंबर में 3 गुना होगा पाम ऑयल आयात

सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया ने बताया कि त्योहारी सीजन में भारतीय आयातक आकर्षक भाव पर बड़ी मात्रा में इंडोनेशिया से पाम ऑयल खरीद रहे हैं। अगस्त-नवंबर के बीच 20 लाख टन से ज्यादा आयात के आसार हैं। यह बीते 4 माह में किए गए आयात का तीन गुना होगा।

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