सोयाबीन की फसल में अनेक प्रकार के रोग लगते है जिनका उपचार करना अत्यंत जरुरी होता है। अगर सोयाबीन में समय पर रोग का उपचार नहीं किया जाता तो उत्पादन कम हो जाता है। रोग का अधिक प्रकोप होने पर सोयाबीन की फसल नष्ट भी हो जाती है। सोयाबीन में भी बहुत से रोगों का आक्रमण होता है। इन रोगों के कारण उपज में काफी कमी आ जाती है। इसकी बीमारियों का वर्णन निम्नलिखित है-
सोयाबीन के रोग और उनका उपचार
(1) बीज एवं पौध आर्द्र गलन soybean Damping off or Seedling rot
फफूँदी से लगने वाला रोग है। यह रोग लगभग सभी दलहनी फसलों पर अपना प्रकोप दिखाता है। यह अंकुरण के पहले या ठीक बाद में लगता है और अंकुरों को गला देता है तथा ये बीजांकुर गिरते हैं और बहुत से बीजांकुर नष्ट हो जाते हैं।
उपचार
इसके उपचार के लिए थीराम या कैप्टान (तीन ग्राम दवा एक किग्रा बीज) लाभकारी होता है। ग्रन्थियों के बनने पर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। बीज का उपचार थायराम + वेवेस्टीन (कार्बेण्डाजिम) 1: 1 में @ 3.5 ग्राम/किग्रा बीज करना अधिक लाभदायक है।
(2) मूल गलन soybean Root rot
यह रोग भी फफूँदी द्वारा लगता है। यह रोग अधिकतर उन स्थानों में पनपता है, जहाँ भूमि में जमाव के समय अधिक नमी होती है। हानि से बचने के लिए थीराम या कैप्टान तीन ग्राम दवा प्रति एक किग्रा० बीज से उपचारित करना चाहिए। जिनेब या डाइथेन M-45 @ 2.5 ग्राम/लीटर पानी का 1000 लीटर घोल प्रति हेक्टेयर छिड़कना चाहिए।
(3) पत्ती धब्बा soybean Leaf spot
इस रोग में पत्तियों पर काले या भूरे रंग के धब्बे उभर जाते हैं। यह फफूँदी द्वारा लगती है। इसकी रोकथाम के लिए फसल बोने से 50, 60 व 70 दिन बाद 2.5 किग्रा जिनेब 1000 लीटर पानी में घोलकर, एक हेक्टेयर में छिड़क देना चाहिए।
(4) रोमिल फफूँद soybean Downy mildew
यह भी एक फफूँद द्वारा लगने वाला रोग है। पत्तियों की ऊपरी तथा निचली सतह पर रोग के आकार की रचनाएँ दिखाई देती हैं। इसकी रोकथाम के लिए प्रतिरोधक जातियों को उगाना चाहिए और बोने से पहले बीजों को एग्रोसन जी एन० से उपचारित करना चाहिए।
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(5) पीला मोजेक soybean Yellow mosaic
यह विषाणु (virus) द्वारा लगता है। इस रोग के कारण पत्तियाँ पीली तथा कुरूप हो जाती हैं। यह रोग मक्खियों द्वारा फैलता है। पत्तियों की पहले तो शिराएँ और किनारे पीले होते हैं परन्तु बाद में इसका प्रकोप बढ़ जाता है और पत्तियों पर पीला जंग (yellow rust) सा लग जाता है इसके उपचार के लिए मक्खियों की रोकथाम करनी पड़ती है।
सोयाबीन पीला मोजेक Yellow mosaic उपचार
इसकी रोकथाम के लिए बोने से 20, 30, 40 व 50 दिन बाद 0.1% मैटासिस्टाक्स का छिड़काव करना चाहिएँ। रोधक जातियाँ PK 472, PS 564 उगाएँ ।
(6) कली झुलसा Bud blight
यह बीज जनित रोग है और बड़ा ही भयंकर रोग है। इसका प्रभाव पहले छोटे पौधों पर दिखाई देता है और पौधों की अन्तस्थ कलिका भूरे रंग की होकर नीचे की पत्तियों पर जंग के समान भूरे धब्बे बन जाते हैं। पौधों पर फलियाँ छोटी आती हैं और बढ़वार मारी जाती है।
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