सोयाबीन में कीटों का अधिक प्रकोप होता है जिसका नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है soybean insect control । सोयाबीन में कीटों का अटैक होने पर पत्तियां कट पिट जाती है जिस से पोधे की बाड़ रुक जाती है और फसल की अवधि बढ़ जाती है। समय पर सोयाबीन में कीटों का नियंत्रण नहीं किया गया तो उत्पादन घट जाता है। या तो फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। फूल आने की स्टेज पर सोयाबीन में कीटों का नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है। soybean insect control यहां पर सोयाबीन की फसल में कीटों का नियंत्रण रासायनिक विधि द्वारा बताया गया है।
soybean insect
लीफ माइनर (Leaf miner) –
यह एक छोटा काले सिर वाला कीट है जिसका कैटर-पिलर गिडार हरे रंग का होता है। इसकी रोकथाम के लिए बी० एच०सी० (5%) की धूल 20 से 25 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से बुरकना चाहिए ।
तनाबेधक बीटिल (Stem borer beetle)
यह बीटिल तने में छेद कर देती है और पौधों को लगभग नष्ट कर देती है। इसकी रोकथाम के लिए 5% बी० एच०सी० की धूलि 15 से 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए। भारी प्रकोप होने पर मृदा से थाइमेट 10% का दानेदार चूर्ण 20 किग्रा० या डाइसिस्टान 5% दानेदार चूर्ण 20 किग्रा० प्रति हेक्टेयर मृदा में मिला देना चाहिए।
बिहार की रोमिल सूँडी (Bihar hairy caterpillar)
यह एक प्रकार की गिडार होती है जिसके शरीर पर पीले रोएँ होते हैं। इनका आक्रमण फसल पर कई बार हो सकता है। प्रारम्भिक अवस्था में ये समूह में रहते हैं और पत्तियों को खाते हैं। इसके नियन्त्रण के लिए खरपतवारों को नष्ट करना आवश्यक है क्योंकि प्रारम्भिक अवस्था में ये खरपतवार पर पनपते हैं।
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खेत के चारों तरफ से अनावश्यक खरपतवार हटा देने चाहिएँ। छोटी अवस्था में सुबह के समय में जब पत्तियाँ कुछ नम हों, 10% बी० एच० सी० या 20% फोलडान धूलि 25 किमा० प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कना चाहिए और अगर कीट का प्रकोप बढ़ गया है तो थायोडान (इन्डोसल्फान 35 ई० सी०) की 1.25 लीटर मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कना चाहिए। एक बाल्टी घोल में एक चम्मच सर्फ भी घोल लेना चाहिए।
सफेद मक्खी
ये मक्खियाँ विषाणु रोग फैलाती हैं। इसकी रोकथाम के लिए 600 मिलीलीटर एकेटीन 25 ई०सी० या मैटासिस्टोक्स 25 ई०सी० को 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
एफिड
soybean insect control ये फरवरी में अन्तिम सप्ताह या मार्च के शुरू में दिखाई देते हैं और वयस्क; दानों व पत्तियों के रस को चूसते हैं। ये बहुत छोटे काले रंग के होते हैं इनके शरीर पर पंख भी होते हैं। इसकी रोकथाम के लिए एकेटिन का छिड़काव करना चाहिए जैसा कि ऊपर दिया गया है। अगर प्रकोप अधिक हो तो मैलाथियान 50 ई०सी० 500 मिलीलीटर को 800 से 900 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कना चाहिए। 0.5 लीटर मैटासिस्टाक्स (25 E.C.) को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़का जा सकता है।
सोयाबीन मैगेट
उगते हुए बीजों के बीजपत्र को खाते हैं, अतः अंकुरण नहीं हो पाता। नम मृदा में अधिक हानि पहुँचाता है। 5 प्रतिशत क्लोरेडेन या एल्ड्रेक्स 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर से बुरकना चाहिए। थायोडान-35 (इमल्सीकारी द्रव) मैटासिस्टाक्स-25 (इमल्सीकरी द्रव) के मिश्रण (1 मिली० थायोडान + 1 मिली० मैटासिस्टाक्स और 1 लीटर पानी) का छिड़काव, जो पीले मोजेक रोग की रोकथाम के लिए भी उत्तम है, का छिड़काव सभी प्रकार के कीट पतंगों की रोकथाम के लिए उत्तम है।
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