फसल की कटाई के बाद किसान का पहला काम होता है अपनी फसल को बाजार में अच्छे दामों में बेचना जिस से उसे अपनी लगत के आधार पर अधिक से अधिक दाम मिल सके। भारत के किसान फसलों के दामों को लेकर परेशान रहते है उन्हें अपनी फसल का वाजिव दाम नहीं मिल पाता है, जिसके चलते कर्जदार किसान को आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। हालाँकि किसान अपनी फसल के अधिक से अधिक दाम लेने के लिये बर्षो से सरकार से लड़ाई करता आ रहा है लेकिन इसके कोई परिणाम किसान को नही मिल रहे है। प्रत्येक राजनीतिक पार्टी के लिये ‘फसल का दाम बढ़ाना’ केवल चुनावी वादा बनकर रह जाता है।
फसल का उत्पादन करने में किसानों की लागत लगातर बढ़ रही है एक सर्वे के अनुसार किसान को अपनी फसल की लागत का लाभ केबल 20 % किसानों को ही मिल पाता है।
आज की इस खबर में हम आपको धान के बढ़े मूल्य के बारे में बता रहे है । खबर मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की पिपरिया मंडी की है जहाँ धान की कीमतों में अच्छि खासी वृद्धि हुई है ।
प्रस्तुत फोटो में धान की कीमत 3000₹ है, 3200 कीमत वाली पर्ची हमें नही मिल सकी है।
धान की वैरायटी PB-1 की कीमत शुरुआत से ही ऊँची रही है जिसमे इसकी शुरुआत मंडी में ₹2400 प्रति क्विंटल से हुई थी करीब 1 महीने तक इसकी कीमत 2400 से 2500 (अधिक्तम मूल्य) तक रही इसी बीच हरयाणा और पंजाब में किसान आंदोलन की शुरुआत हो गयी जिसके चलते वहाँ की किसान धान नही बेच रहे है। इसी कारण मांग अधिक होने पर धान की कीमत 3200 रूपये तक पहुँच गयी है यह कीमत मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की पिपरिया मंडी की है ।
वही मंडीदीप की बरेली मंडी में भी धान की कीमत 3200 तक पहुँच गयी है। हालाँकि इस धान की अधिकतम कीमत वर्ष 2013 में ₹4500 तक थी जो की वर्ष 2020 की तुलना में बहुत ज्यादा है। वर्ष 2019 में पूसा धान की कीमतों में काफी कमी देखी गयी थी।
वही मंडी में क्रांति धान की कीमत 1400 से ₹1801 क्विंटल है अगर बात की जाए धान के समर्थन मूल्य की तो यह 1865 रु क्विंटल है।