नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सभा ने किसानों और प्रदर्शन सेजुड़ी बातों पर सुनवाई की। इसके दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘ऐसा लगता है केंद्र सरकार और किसानों के बीच वार्तालाप से किसानों की समस्या का हल नहीं हो पा रहा है, जल्द अगर इनके विवाद का समझौता नहीं हुआ तो यह राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा।’ कोर्ट ने
किसान संगठनों को भी पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं।, ताकि किसान संगठन भी अपना पक्ष रख सकें।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि विवाद हल करने के लिए एक विशेषज्ञ टीम का निर्माण करना होगा, जिसमें किसान के संगठन और केंद्र सरकार के अफिसर व कृषि कानून विशेषज्ञों को सम्मलित किया जा सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता व केंद्र सरकार को कमेटी के सदस्यों के सुझाव भी देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर एक दिन में जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई कोर्ट में गुरुवार की सुबह होगी।
प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर दोपहर 12:30 से बजे सुनवाई शुरू की गयी। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता बोले उन्हें जानकारी मिली है कि वकील हरीश साल्वे पेश होना चाहते हैं। कोर्ट ने पूछा क्या साल्वे इस मामले में उपस्थित होंगे। कोर्ट को संतोषजनक जवाब न मिलने पर कोर्ट ने अनुमति नहीं दी और सुनवाई शुरू कर दी।
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याचिकाकर्ता के वकीलः
अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग मामले में अहम फैसला दिया था, तब कहा गया था- ‘अन्य लोगों को परेशान कर किसी को अनिश्चितकाल के लिए सड़क पर धरना देने की अनुमति नहीं दी जा सकती। मेरा क्लाइंट किसान नहीं कानून का एक छात्र है।’
सीजेआईः
(नाराजगी भरे लहजे में) यह एक महत्वपूर्ण मामला है और आप इस मामले में सही तरह से जिरह क्यों नहीं कर रहे। हम आपसे पूछ रहे हैं कि आपका मुद्दा क्या है? आपकी मांगें क्या हैं? सही से दलीलें पेश कीजिए।
-दूसरे याचिकाकर्ता के वकीलः
(शाहीन बाग और किसान प्रदर्शन की तुलना करते हुए) किसानों ने दिल्ली की सभी सीमाओं की घेराबंदी कर ली है। सीजेआई: वहां पर कितने लोगों ने सड़क जाम की थी?
वकीलः वहां 3-4 लाख लोग थे।
- सीजेआईः आप चाहते हैं दिल्ली की सीमाएं खोली जाएं। आप शाहीन बाग की मिसाल पेश कर रहे हैं। वहां कितने लोग वास्तव में सड़क रोक रहे थे। कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मिसाल नहीं दी जा सकती। प्रशासन को किस तरह की कार्रवाई करनी है, क्या लोगों की संख्या इसका निर्धारण नहीं करेगी? वहां अगर कुछ होता है तो जिम्मेदारी कौन लेगा प्रदर्शनकारी किसानों के कौन-कौन से संगठन शामिल हैं।