यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के कारण देश में खेती में प्रयोग होने वाली खादों के रेट आसमान छूने लगे हैं। जिससे किसानों को काफी महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। इसका असर आम आदमी पर भी काफी पड़ेगा। किसानों को जो पोटाश खाद कुछ दिनों पहले 1100 रुपए में मिलती थी,आज उसका रेट तारा 1700 हो चुका है। 15 मार्च के बाद इसका रेट 200 रुपए होने की संभावना है। वहीं, डीएपी खाद की बात करें तो इसका स्टॉक भी सिरसा में समाप्त हुआ पड़ा है।
रासायनिक खाद किसानों के लिए संजीवनी का कार्य करती है। आज के समय में खाद के बिना किसान फसल में अच्छा उत्पादन नहीं ले पाते है। खाद की पूर्ति न होने पर फसल उत्पादन 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है। खाद के दाम बढ़ने से किसानों की लागत में वृद्धि होगी।
डीएपी की खाद किसानों को 200 रुपए में मिलती थी,लेकिन अब 15 मार्च के बाद इसका रेट 900 रुपए हो जाएगा। जानकारों का कहना है कि डीएपी का स्टॉक दुकानों में नहीं है या दुकानदार बेच ही नहीं रहे। बात यूरिया खाद की करें तो यह अभी तक 266 में किसानों को मिल रही थी, लेकिन इसके रेट अब 300 होने की संभावना है। मंडी के व्यापारियों का कहना है कि यूक्रेन और रूस के बीच में चल रहा युद्ध बढ़ी कीमतों का मुख्य कारण है। अगर जंग जारी रही तो खादों के रेट और भी बढ़ सकते हैं।
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संभावना जताई जा रही है कि इस बार गेहूं का रेट बाजार में 3000 रुपए प्रति क्लिंटल होगा। मौजूदा समय में गेहूं का रेट 2300 रुपए प्रति क्लिटल है। अगर रेट 3000 प्रति क्लिटल हो जाएगा तो कोई भी किसान सरकार को एमएसपी पर गेहूं नहीं बेचेगा। जिस प्रकार किसानों ने सरसों प्राइवेट कंपनियों को बेची थी, उसी प्रकार गेहूं भी किसान प्राइवेट कंपनियों को ही बेचेंगे। अगर गेहूं 3000 रुपए प्रति क्रिटल हो गया तो गरीब आदमी का दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो जाएगा।
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