bacterial leaf blight of rice paddy diseases symptoms and control धान का झुलसा ब्लास्ट रोग

Bacterial leaf blight Paddy की फसल में होने वाला प्रमुख Disease है जो Bacteria की बजह से उत्पन्न होता है।इस रोग का रोगजनक Bacteria है, इसका नाम Xanthomonas oryzae pv. Oryzae है। आज हम इसके लक्षण symptoms और उपचार Treatment के बारें में बात करेंगे। यह भारत के सभी Aria जहाँ धान की फसल का उत्पादन लिया जाता है उन सभी Aria में Bacterial leaf blight रोग का प्रकोप रहता है अगर ऐसे समय पर नियंत्रित नहीं किया जाये तो धान के उत्पादन में कमी आ जाती है।

Symptoms of Bacterial leaf blight के लक्षण 

  1. इस रोग का प्रमुख लक्षण Symptoms  पौधे के Leaf ऊपरी हरे भागों पर दिखाई देता है,
  2.  जिसमें  पत्तियों पर कत्थई रंग की लंबी-लंबी (1-10 सें.मी. तक) धारियां नसों के बीच लम्बी -लम्बी बन जाती हैं जैसी फोटो में दिखाई गयी है। 
  3. इसमें पीले रंग का Bacteria स्राव पत्ती पर दिखाई देता है। ये धारियां एक-दूसरे से सटकर पूरी पत्ती पर दिखाई देती हैं।
  4. फलस्वरूप पत्ती सूख जाती है। 
  5. तीव्र संक्रमण में शीथ एवं बीज भी प्रभावित होता है, परंतु ये लक्षण कम स्पष्ट होते हैं।
  6. पत्तिओ की ऊपरी भाग जो नुकीला होता वह पीला पड़ जाता है तथा सूख जाता है। 

bacterial leaf blight of paddy रोग के लक्षण धान के पौधे में दो अवस्थाओं में दिखाई देते हैं, पर्ण झुलसा (Leaf Blight) एवं विल्ट अवस्था (करेसेक) जिसमें पर्ण झुलसा अधिक व्यापक है। इनके लक्षण धान में नर्सरी अवस्था से लेकर बालियां निकलते समय तक कभी भी धान की फसल में दिखाई दे सकते हैं। सामान्यतः रोग के लक्षण पौधों में कल्ले बनने की अंतिम अवस्था से बाल निकलते समय अधिक स्पष्ट होते हैं तथा यह अधिक नुकसान भी पहुंचाता है। इस रोग में पत्ती के एक अथवा दोनों किनारों पर एवं मध्य शिरा के साथ जलासिक्त पारभासक धब्बे बनने आरंभ होते हैं।

Bacterial leaf blight in paddy rice (1)
Bacterial leaf blight in paddy rice (1)

धीरे-धीरे ये धब्बे बढ़कर धारियों का रूप ले लेते हैं, जो पीले से सफेद रंग के दिखाई देती हैं। इन धारियों का किनारा लहरदार होता है। अनुकूल मौसम (अधिक नमी) में ये धब्बे बीच की तरफ तीव्र गति से बढ़कर संपूर्ण पत्ती को प्रभावित करते हैं, जिससे पत्तियां मुड़ जाती हैं। ग्रसित भाग से जीवाणुयुक्त स्राव बूंदों के रूप में निकलता है। यह स्राव सूखकर कठोर हो जाता है और पीले कणों अथवा पपड़ी के रूप में दिखाई देता है। रोग का प्रकोप अधिक होने पर पौधों के संवहनी बंडल Bacteria के द्वारा भर जाते हैं और पौधा सूख कर मर जाता है।

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उत्तर भारत में bacterial leaf blight of rice रोग के लक्षण धान के खेत में अगस्त एवं सितंबर माह  में दिखाई देते हैं। ग्रसित पौधों की बालियां और दाने की संख्या में कमी रहती हैं। Bilt अथवा करेसेक अवस्था में ग्रसित पौधों की पत्तियां सिकुड़़कर मुड़ जाती हैं, जिसके फलस्वरूप पूरी पत्ती मुरझा जाती है तथा कभी-कभी तना बेधक कीट द्वारा ग्रसित पौधे के समान लक्षण दिखाई देते हैं। ऊपर खींचने पर आसानी से शीथ बाहर नहीं निकलती है, जो विल्ट अवस्था संक्रमण का द्योतक है।

Bacterial leaf blight Treatment रोग प्रबंधन 

धान के जीवाणजुनित रोगों की रोकथाम निम्नलिखित विधियों द्वारा की जा सकती है: 

बीज उपचार 

  1. बीजों को 12 घंटे तक 0.25 प्रतिशत एग्रीमाइसीन के जलीय घोल में एवं 0.05 प्रतिशत सेरेसान के घोल से उपचारित करके फिर बीजों को 30 मिनट के लिए 520-540 सेल्सियस तापमान वाले जल में रखने से सभी जीवाणु मर जाते हैं।बीजों को 8 घंटे तक सेरेसान (0.1 प्रतिशत) और स्ट्रेप्टोसायक्लिन (0.3 ग्राम) के 2.5 लीटर जल से उपचारित करना चाहिए। 
  2. बीजों को जैविक पदार्थों जैसे-स्यडूामेानेास फ्रलोरेसेन्स 10 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करके बुआई करनी चाहिए। 
  3. रोग प्रतिरोधी किस्मो का उपयोग करना चाहिए। 

पौध उपचार 

रोपाई से पूर्व एक एकड़ क्षेत्रफल के लिए एक कि.ग्रा. स्यूडोमोनास फ्लोरेसेन्स को आवश्यकतानुसार पानी के घोल में पौधे की जड़ को एक घंटे तक डुबोकर उपचारित करके लगाएं। एक कि.ग्रा. स्यूडोमोनास फ्लोरेसेन्स को 50 कि.ग्रा. रेत या गोबर की खाद में मिलाकर एक एकड़ खेत में रोपाई से पूर्व फैला दें। पौधों को रोपाई से पूर्व 0.5 प्रतिशत ब्लाइटॉक्स-50 के घोल से उपचारित करना चाहिए। 

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Pesticide for control Bacterial leaf blight of rice खेत में छिड़काव

  1. खेत में रोग दिखाई देने पर स्ट्रेप्टोसायक्लिन 15 ग्राम + 500 ग्राम Copper oxychloride  को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए। आवश्यकतानुसार दूसरा छिड़काव 10-15 दिनों बाद करें।
  2.  Hexaconazole या Tebuconazole fungicide की मात्रा  250 ml को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति 1 एकड़ की दर से उपयोग करना चाहिए। इन Fungicide के साथ Antibiotic और tonic या उपज वर्धक का उपयोग करना चाहिए 

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