kisan news. रबी सीजन की सबसे प्रमुख फसल गेहूं की उन्नत wheat variety किस्म की बुवाई अधिक उत्पादन देने में सक्षम रहती है। गेहूं की क़िस्म सभी जगह अलग अलग उत्पादन देती है लेकिन कुछ किस्म ऐसे होती है जो सभी जगह एवं सभी प्रकार की भूमि के लिए अनुकूल होती है। यहां हम गेहूं की किस्म के वारे में बताएगें जो अच्छा उत्पादन देती है।
गेहूं की विकसित किस्म improve wheat variety
पूसा तेजस रबी फसलों की बुआई का काम जल्द शुरू हो जायेगा, देश में रबी फसलों में सबसे अधिक गेहूं की खेती की जाती है। ऐसे में गेहूं का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए गेहूं की नई एवं विकसित किस्मों का प्रयोग करना आवश्यक है। किसान अधिक पैदावार के लिए कौन सी किस्म का चयन करें यह चुनौतीपूर्ण काम है।
पिछले कुछ वर्षों में कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा बहुत सी नई क़िस्में विकसित की गई हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों एवं परिस्थितियों के अनुकूल एवं अलग-अलग रोगों के प्रति सहनशील भी होती है, जिससे कृषि की लागत तो कम होती ही है साथ ही पैदावार में भी वृद्धि होती है।
वैज्ञानिकों के द्वारा एक ऐसी ही किस्म पूसा तेजस HI 8759 विकसित की है, जो रोग रोधी होने के साथ ही अधिक पैदावार भी देती है। जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि भी होती है। पिछले कुछ वर्षों में किसानों ने इस किस्म से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार भी प्राप्त की है। आइए जानते हैं इस किस्म की अन्य विशेषताओं के बारे में!
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गेहूं की क़िस्म पूसा तेजस HI 8759 किस्म की विशेषताएँ
गेहूं की यह किस्म काले एवं भूरे रतुए रोग के लिए प्रतिरोधी है। साथ ही यह किस्म उच्च तापमान के लिए भी सहिष्णु है। पूसा तेजस में अनिवार्य पोषक तत्व जैसे उच्च प्रोटीन अंश 11.9 प्रतिशत, पीले रंजक का स्तर 5.7 ppm और लौह 42.1 ppm व जस्ते की मात्रा 42.8 ppm मौजूद हैं। यह किस्म उच्च प्रोटीन, जिंक एवं आयरन, पास्ता, सूजी, दलिया, चपाती बनाने वाली किस्म के रूप में पहचानी गई है। पूसा तेजस किस्म बुआई से लेकर 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
पूसा तेजस कठिया या ड्यूरम गेहूं की एक किस्म है, समय पर बुआई करने पर इस क़िस्म से कई अन्य किस्मों जैसे एमपीओ 1215 से 21.5 प्रतिशत, एचआई 8498 से 12.3 प्रतिशत और एचआई 8737 से 7.1 प्रतिशत तक अधिक पैदावार देती है।
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wheat variety पूसा तेजस किस्म से प्राप्त पैदावार
विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों के अनुसार पूसा तेजस किस्म से औसतन 56.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं अधिकतम 75.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है। पिछले वर्ष मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के कई किसानों ने इस क़िस्म की खेती कर 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त भी की है।
मध्यप्रदेश के मंदसौर ज़िले के एक किसान वल्लभ पाटीदार ने बताया की पिछले वर्ष उन्होंने अपने खेत में यह किस्म लगाई थी जिससे उन्हें 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज प्राप्त हुई थी।
इन क्षेत्रों में की जा सकती है पूसा तेजस की खेती
पूसा तेजस किस्म को कुछ विशेष क्षेत्रों में खेती करने के लिए अनुमोदित किया गया है।
इसमें मध्य प्रदेश,
छत्तीसगढ़,
गुजरात,
उत्तर प्रदेश (झाँसी डिविजन),
राजस्थान (कोटा एवं उदयपुर) आदि शामिल है।
समय पर बुआई एवं सिंचाई की अवस्था में इस किस्म से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। गेहूं की पूसा तेजस किस्म में कल्ले की अधिकता होती है, इसके एक पौधे में 10 से 12 कल्ले होते हैं।
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