धान के रोग paddy disease की पहचान और उनका प्रबंधन controle करना धान की फसल में अत्यंत आवश्यक है। धान के रोग का प्रकोप अधिक बढ़ने से धान में उत्पादन में कमी आ जाती है या तो फसल पूरी तरह नष्ट हो जाती है। धान प्रमुख रूप से blast ब्लास्ट, बकाने रोग Bakanae disease in paddy, Sheath Blight in paddy, bacterial leaf blight of rice
1. blast disease of rice धान में ब्लास्ट रोग
symtoms of blast disease of rice
रोग के विशेष लक्षण पत्तियों पर दिखाई देते हैं, परन्तु पर्णच्छद, पुष्पगुच्छ, गांठों तथा दाने के छिलकों पर भी इसका आक्रमण पाया जाता है। कवक का पत्तियों, गांठों एवं ग्रीवा पर अधिक संक्रमण होता है। पत्तियों पर भूरे रंग के आँख या नाव जैसे धब्बे बनते हैं जो बाद में राख जैसे स्लेटी रंग के हो जाते हैं। क्षतस्थल के बीच के भाग में धूसर रंग की पतली पट्टी दिखाई देती है।
अनुकूल वातावरण में क्षतस्थल बढ़कर आपस में मिल जाते हैं, परिणामस्वरुप पत्तियां झुलस कर सूख जाती है। गांठ प्रध्वंस संक्रमण में गांठ काली होकर टूट जाती हैं। दौजी की गांठों पर कवक के आक्रमण से भूरे धब्बे बनते हैं, जो गाँठ को चारों ओर से घेर लेते हैं।
ग्रीवा (गर्दन) ब्लास्ट में, पुष्पगुच्छ के आधार पर भूरे से लेकर काले रंग के क्षत बन जाते हैं जो मिलकर चारों ओर से घेर लेते हैं और पुष्पगुच्छ वहां से टूट कर गिर जाता है जिसके परिणामस्वरूप दानों की शत- प्रतिशत हानि होती है । पुष्पगुच्छ के निचले डंठल में जब रोग का संक्रमण होता है, तब बालियों में दाने नहीं होते तथा पुष्प और ग्रीवा काले रंग की हो जाती है ।
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धान के रोग ब्लास्ट का प्रबंधन blast disease managment in paddy
- स्वस्थ पौधों से प्राप्त बीज का ही प्रयोग करें । नर्सरी को नमीयुक्त क्यारी में उगायें और क्यारी छायादार क्षेत्र में नहीं हो ।
- 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से कार्बेन्डाजिम के साथ बीजोपचार |
- 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में या 1 ग्राम प्रति ट्राइसायक्लोजोल लीटर पानी में कार्बेन्डाजिम फफूंदनाशी का छिड़काव । संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें।
- खेत में रोग के लक्षण दिखाई देने पर नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग न करें । फसल स्वच्छता, सिंचाई की नालियों को घास रहित करना, फसल चक्र आदि उपाय अपनाना उपयोगी है।
2. बकाने रोग Bakanae disease in paddy
Bakanae disease यह रोग जिबरेला फ्यूजीकुरेई की अपूर्णावस्था फ्यूजेरियम मोनिलिफोरमे से होता है।
बकाने रोग के लक्षण symtoms of Bakanae disease in paddy :
रोग से प्रभावित पौधे हल्के पीले रंग के पतले तथा असाधारण लम्बे होते है। ऐसे पौधे पौधशाला में यहां- वहां होते और निश्चित चप्पे नहीं बनाते है। रोग की उग्र दशा में ये पौधे रोपाई से पूर्व ही मर जाते हैं। रोपाई के बाद खेत में भी पौधे पीले, पतले तथा लम्बे हो जाते हैं।
रोगी पौधों की दौजियां हल्के पीले रंग की होती हैं और प्रायः ये पौधे पुष्प गुच्छ निकलने से पहले ही मर जाते है। ध्यान से देखने पर दौजियां निकलने या बालियां आने के बाद नमीयुक्त वातावरण में तने के निचले भागों पर सफेद से गुलाबी रंग का कवक दिखाई देता है, जो क्रमशः ऊपर बढ़ता है। उच्च भूमि में धान के पौधों का बिना लम्बा हुए ही तलगलन / पदगलन के लक्षण मिलते है।
बकाने रोग का उपचार Bakanae disease managment in paddy
- स्वस्थ बीज का प्रयोग करें।
- कार्बेन्डाजिम के 0.2 प्रतिशत घोल में बीज को 36 घंटे भिगोयें तथा अंकुरित करके बिजाई करें।
- रोपाई के समय रोगग्रस्त पौधों को न रोपें और उन्हें अलग कर दें ।
- गीली पौधशाला में बुआई करें ।
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3. आच्छद झुलसा Sheath Blight
यह रोग राइजोक्टोनिया सोलेनी नामक कवक द्वारा उत्पन्न होता है।
symtoms of Sheath Blight in paddy धान में शीथ ब्लाइट
पानी अथवा भूमि की सतह के पास पर्णच्छद पर रोग के प्रमुख लक्षण प्रकट होते हैं। इस रोग द्वारा दीर्घवृत्तीय या अण्डाकर क्षतस्थल बनते हैं, जो बाद में पुआल के रंग के हो जाते हैं । इन क्षतों का केन्द्रीय भाग सिलेटीपन लिए सफेद होता है। अनुकूल वातावरण में क्षतस्थलों पर कवक जाल स्पष्ट दिखते हैं, जिन पर अर्ध अथवा पूर्ण गोलाकार भूरे रंग के स्क्लेरोशिया बनते हैं। पत्तियों पर क्षतस्थल विभिन्न आकृति में होते हैं। ये क्षत धान के पौधों पर दौजियां बनते समय एवं पुष्पन अवस्था में बनते हैं।
disease managment of Sheath Blight in paddy प्रबंधन :
- सस्य क्रियाओं को उचित समय पर सम्पन्न करना तथा पिछली फसलों के अवशेषों को नष्ट करें।
- आवश्यकतानुसार नाइट्रोजन उर्वरकों का उपयोग करें और रोग प्रकट होने पर टॉप ड्रेसिंग को कुछ समय के लिए स्थगित करें ।
- खेतों में घास कुल के एवं निकट खरपतवार जलकुंभी को नष्ट करें।
- 2 ग्रा. प्रति किलोग्राम बीज की दर से कार्बेडाजिम 50 डब्ल्यू पी का बीजोपचार उपयोगी है।
- 2.5 मिली/ली. पानी की दर से वैलिडामासिन, 2 ग्रा./ली. पानी की दर से या हैक्साकोनाजोल का छिड़काव उपयोगी है।
4. जीवाणुज पत्ती अंगमारी bacterial leaf blight of rice
bacterial leaf blight of rice यह रोग जैन्थोमोनास ओरायजी पीवी ओरायजी नामक जीवाणु द्वारा उत्पन्न होता है।
symtoms of bacterial leaf blight of rice
यह रोग मुख्यतः दो अवस्थाओं में प्रकट होता है। पर्ण अंगमारी (पर्ण झुलसा) अवस्था और क्रेसेक अवस्था । पर्ण अंगमारी (पर्ण झुलसा) अवस्था : पत्तियों के ऊपरी सिरों पर जलसिक्त क्षत बन जाते है। पीले या पुआल रंग के ये क्षत लहरदार होते हैं जो पत्तियों के एक या दोनों किनारों के सिरे से प्रारंभ होकर नीचे की ओर बढ़ते है और अंत में पत्तियां सूख जाती है।
गहन संक्रमण की स्थिति में रोग पौधों के सभी अंगों जैसे पर्णाच्छद, तना और दौजी को सुखा देता है। क्रेसेक अवस्था : यह संक्रमण पौधशाला अथवा पौध लगाने के तुरन्त बाद ही दिखाई पड़ता है। इसमें पत्तियां लिपटकर नीचे की ओर झुक जाती हैं। उनका रंग पीला या भूरा हो जाता है तथा दौजियां सूख जाती है। रोग की उग्र स्थिति में पौधे मर जाते हैं ।
disease bacterial leaf blight of rice
- संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें तथा खेत में ज्यादा समय तक जल न रहने दें तथा उसको निकालते रहें।
- 10 लीटर पानी में 2.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसायक्लिन तथा 2.5 ग्राम ब्लाइटॉक्स
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