सोयाबीन के रोग soyabean disease की पहचान एवं उनका control सोयाबीन के खेती soyabean ki kheti में अत्यंत आवश्यक है। सोयाबीन की खेती में रोग का प्रकोप अधिक बढ़ने से सोयाबीन की फसल नष्ट हो सकती है। आज की इस पोस्ट में हम आपको सोयाबीन के रोग soyabean disease जैसे पीला मोजैक yellow mosaic , पत्ती धब्बा, गेरुआ और उनके उपचार के बारे में जानकारी देंगे।
खरीफऋतु में उगाई जाने वाली सोयाबीन पर रोगव्याधि की समस्या अनुकूल मौसम के कारण अधिक होती है। सोयाबीन की फसल लगने से लेकर फसल पकने तक अनेक प्रकार के रोगों का आक्रमण होता है इनमें से कुछ सोयाबीन के रोग का प्रकोप सोयाबीन के उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला प्रमुख कारण सिद्ध हुआ है। Soyabean disease and control in hindi yellow mosaic सोयाबीन की प्रमुख रोग बीमरियों के नाम, उनके लक्षण, पौधों की अवस्था जिसमें आक्रमण होता है एवं रोकथाम निम्नानुसार है।
1. सोयाबीन का पद गलन रोग Collar rot Soyabean disease
यह बीमारी प्रारम्भिक अवस्था में स्केलेरोशियम शेल्फसाई आदि नामक फफूंद द्वारा होती है, अधिक तापमान एवं नमी इस रोग के लिये अनुकूल है यह मृदा जनित रोग है एवं प्रायः सभी जगह पाया जाता है।
symtoms of collar rot disease पहचान व लक्षण
तने का हिस्सा जो जमीन से लगा होता है यहाँ पर यह फफूंद हल्के रंग के धब्बे बनाती है, तने का यह हिस्सा फफूंद के कवकजाल से ढक जाता है व इस पर लाल भूरे रंग के सरसों के बीज के आकार के गोल स्केलेरोशिया बनते हैं, बाद में तने का यह हिस्सा सड़ जाता है जिससे पौधा मुरझाकर गिर जाता है।
soyabean collar rot disease control रोकथाम:-
- ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें।
- खेत को साफ सुथरा व फफूंदनाशक दवा से उपचारित कर ही वुवाई करें।
- रोग ग्रसित पौधों को उखाड़कर पन्नी में रखकर खेत से बाहर गड्ढे से नष्ट करें।
- बाविस्टीन 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर रोग ग्रसित पौधों व स्वस्थ पौधों की जड़ों में डालें ।
2. Rust disease of soyabean गेरूआ रोग
यह रोग केकोप्सोरा पैकीराईजी नामक fungus के द्वारा होता है गीली पत्ती बनी रहने एवं लगातार वर्षा होने से तापक्रम (18 से 28 डिग्री सेल्सियस) तथा अधिक नमी (अपेक्षित आर्द्रता 80 प्रतिशत के आसपास) होने की दशा में रोग की सम्भावना बढ़ जाती है।
symtoms of rust disease in soyabean गेरुआ रोग पहचान व लक्षण:-
इस सोयाबीन के रोग से ग्रसित पौधों की पत्तियों पर निचली सतह में सुई की नोक के आकार के मटमैले भूरे व लाल धब्बे दिखाई देते हैं कुछ ही समय में यह धब्बे समूह में बढ़ जाते हैं व पूरी पत्ती पर फैल जाते हैं इन पश्च्यूल से कत्थई रंग का पावडर निकलता है जो स्वस्थ पत्तियों पर गिरकर रोग की तीव्रता को बढ़ाता है।
soyabean rust disease control गेरुआ रोग रोकथाम:-
- गेरूआ प्रतिरोधी किस्मों पी.के. 1029, पी.के. 1024, इंदिरा सोयाबीन – 9 आदि किस्मों का चयन करें।
- रोग की प्रारम्भिक अवस्था पर hexaconazole 5 ec (contaf) या propiconazole 25 ec (टिल्ट) 750 मिली / हेक्टेयर 600 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कें।
3. सोयाबीन का पत्ती धब्बा रोग Leaf rust disease
यह रोग मायरोथिसियम रोडीरम नामक फफूंद से होता है रोगजनक बीज व ग्रसित पौधों के अवशेषों में जीवित रहता है यह सोयाबीन के रोग बुवाई के 30-35 दिन की फसल पर अधिक लगता है।
Symtoms of Leaf rust disease पहचान व पहचान व लक्षण:-
Soyabean disease में इस रोग ग्रसित पौधों की पत्तियों पर छोटे, गोले, हल्के से गहरे भूरे रंग के धब्बे बनते हैं जो कत्थई रंग के घेरे से घिरे रहते हैं धीरे-धीरे यह धब्बे आपस में मिलकर अनियमित आकार के हो जाते हैं।
यह पोस्ट भी पढ़ें –
control of leaf rust in soyabean रोकथाम एवं उपाय :-
- स्वच्छ व प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
- रोकथाम के लिये 2 ग्राम thiram +1 ग्राम vavistin प्रति किलो बीज के हिसाब से बीजोपचार करें ।
- रोग दिखते ही फसल पर carbendazim या थायोफिनेट मिथाईल (0.05 से 0.1 प्रतिशत) घोल का छिड़काव करें।
4. सोयाबीन पीला मोजेक रोग Yellow mosaic of soybean
सोयाबीन का मोजेक रोग एवं virus विषाणु जनित रोग है यह रोग मूत्र के पीले मोजेक विषाणु द्वारा होता है। यह बीमारी लगभग सोयाबीन उत्पादन करने वाले सभी क्षेत्रों में पायी जाती है। इसका प्रकोप सोयाबीन फसल पर 70 प्रतिशत तक देखा गया है। यह रोग बीज जनित नहीं है। सफेद मक्खी इस virus (विषाणु) के वाहक का कार्य करते हुये रोग को फसल पर फैलाती है।
सोयाबीन पीला मोजेक रोग की रोकथाम control of yellow mosaic in soyabean
- एकल फसल प्रणाली के स्थान पर फसल चक्र अपनायें ।
- शुरूआती अवस्था में ही पीला मोजेक रोग ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें ।
- शुरूआती अवस्था में yellow mosaic in soyabean कीट नियंत्रण के लिये सिन्थेटिक पाइरेथ्रॉइड (alphamethrin, cypermethrin, deltamethrin, lambda cyhalothrin) का उपयोग न करें।
- सोयाबीन की फसल के आसपास, मूँग, उड़द, भिण्डी, बैंगन टमाटर की खेती न करें ।
- सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिये thiamethoxam 25%, 125 ग्राम या imidacloprid 17.8 sl. 125 मि.ली. या acetamiprid 20 sp 200 ग्राम या इथोफेनप्रॉक्स 10 ई.सी. 1 लीटर / हेक्टेयर को पानी की 600 से 750 लीटर मात्रा में घोल बनाकर छिड़काव करें।
इस पोस्ट में सोयाबीन के रोग soyabean disease एवं उनका प्रबंधन soyabean disease controle की जानकारी दी जो बिभिन्न स्त्रोत से प्राप्त की गयी है। फसल में रासायनिक दवा का उपयोग अपने विवेक के अनुसार करे। सोयाबीन की फसल में रासायनिक दवा का अधिक मात्रा में उपयोग फसल को नुकसान पंहुचा सकता है।
किसान ग्रुप से जुड़ें –